Wednesday 29 November 2017

success story33

आज rpscmeme में ras2016 की success story के क्रम में राज कँवर जी की सफलता की कहानी प्रस्तुत है। आपने 2 बार ras में सफलता प्राप्त कर परिवार समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।


जुनून और जज़्बा हो तो क्या असंभव है। किंतु विपरीत परिस्थितियों  के झंझावात से गुज़रकर सफलता हासिल करने वालों के गीत ज़माना गुनगुनाता है

“गुमनामियों के अँधेरे में ही दफन हो जाती है उनकी पहचान,

जिनके पास काम ना करने के अनगिनत बहाने हैं।

नजरअंदाज कर कमजोरियों को जो सपनों में भरते हैं जान,

आज ज़माने भर में  हर जगह उन्हीं के अफ़साने हैं।”

ज़माने भर के लोगों को गलत साबित कर एक नयी मिसाल प्रस्तुत करने वाली राजकंवर की प्रेरणादायक कहानी में हम ऐसा ही कुछ पढ़ने वाले हैं कि हिम्मत और जुनून  के बूते इंसान क्या नहीं कर सकता ।

हम बात कर रहे है हाल ही में RPS में चयनित राजकंवर की। अगर आप RAS /RPS अधिकारी बनना चाहते है तो निराश होने की जरूरत नहीं। यह कहना है राजकंवर का ,जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में समाज की रूढ़िवादी परम्पराओं के बीच राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की है।

राजकंवर ने अपने जीवन के बारे में बताया कि उनके 2 भाई और बहन है । जयपुर में स्थित भवानी निकेतन महाविद्यालय से BA करने के बाद चूरू के लोहा गांव  के श्री सुमेर सिंह राठौड़ से  24 जनवरी 1996 को  उनकी शादी हुई । शादी के बाद उनकी पढ़ाई से दूरी बन गई। उनके पति का स्वंय का  बिजनेस था। इस दरमियान उनके  2 बच्चे हुए । ख़ुशहाल ज़िन्दगी जी रही राज कँवर ने जीवन में अचानक आए तूफ़ान में शादी के 13 साल  बाद  2009 में  पति सुमेरसिंह को सड़क दुर्घटना में खो दिया । इसके बाद राजकंवर ने हिम्मत के साथ फिर से नए सिरे से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की। उन्होंने 2010 में बीएड और 2015 में एमए  किया।इस दौरान उन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाएँ  दीं। इस दौरान ⊥उन्हें कई परेशानियों का सामना  करना पड़ा और कई चुनौतियों से मुखातिब होना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती समाज की पुरानी रूढ़िवादी परम्परा थीं। समाज के लोग उन्हें अलग नजरिये से देखने लगे। लेकिन राजकंवर अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत करने में लगी रहीं।दिन बीतते गए और आखिरकार वो दिन आया जब उनके सपनों को पंख मिले। वर्ष 2016 में RPS अधिकारी के रूप में उनका चयन हुआ और एक मिसाल क़ायम की ।

राजकंवर हैं का मंत्र है  हमेशा बड़े सपने देखो और उसी के आधार पर शिद्दत से कोशिश करो।देखने मे आता हैं कि विपरीत परिस्थितियों में लोग टूट जाते हैं, जो हौसला नहीं खोते वही ऊँची उड़ान भरते हैं।

इस सफलता के पीछे उनके दोनों बच्चे प्रियंका और हेमेंद्र के अलावा उनके भाई शेर सिंह शेखावत का  सबसे बड़ा योगदान मानती हैं। वर्तमान में राजकंवर  राजस्थान के श्रीगंगानगर  जिले में फूड एंड सिविल  सप्लाई डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे रही है,साथ ही अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। सितम्बर 2017 में उनका आधारभूत प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ है।
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Saturday 25 November 2017

SUCCESS STORY 32

आज rpscmeme पर  RAS2016  की success story के क्रम में डॉ.  प्रतिभा पूनिया जी का परिचय एवं मार्गदर्शन प्रस्तुत है ।आपने दृढ संकल्प एवं लगन द्वारा RAS  2016 में 9th rank प्राप्त कर परिवार समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।

परिचय:
Name -Dr.Pratibha Poonia
RAS 2016 rank -9
Post -SDM

Medium-Hindi
Address- tahsil: Rajgarh,     Village-hamirwas    ,    district:Churu.
Hobbies- painting,singing,Listening Ghazals.
Educational background: Bachelor of Dental Surgery.(BDS)
Marks : prelims -93
    Mains : 92,96,103,112
Coaching: Bhatia aashram,suratgarh(Praveen ji bhatia sir) Springboard ,jaipur(Deelip Mahecha ji sir) N Guidance from Rajveer Sir.

Strength -> Family & friends.
Father- रमेश चन्द्र पूनियाँ (principal)
Mother- कमला पूनियाँ (teacher)
बड़ी बहन -डॉ. प्रभा व जीजाजी डॉ. अनिल जी लाम्बा (शिशु रोग विशेषज्ञ)
Brother- गौरव पूनियाँ (S.I.)
  And specially my little lucky charm ''AYANA' (भान्जी) 😊
Strategy-   Focus on weaknesses.Prepare all subjects equally. Make Newspaper notes.
Message to new aspirants- "Be     REAL & Be PURE".
     Don't copy anyone..show your originality n uniqueness to the examiner .stay away from negativity.
     For those who couldn't make this time..
" होके मायूस न आँगन से उखाड़ो पौधे..        
  धूप बरसी है तो बारिश भी यहीं होगी ।।"

For rpsc meme-  your funny memes are stress reliever for aspirants..n success stories keep aspirants motivated. Keep up good work.👍

Tuesday 21 November 2017

success story 31

आज rpscmeme में ras2016 की success story के क्रम में मनीष बडगुजर जी की सफलता की कहानी प्रस्तुत है। आपने 2 बार ras में सफलता प्राप्त कर परिवार समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।

परिचय:-
नाम-Manish Badgujar
Rank SC 19
Age 29
family details:-
1.Father - Shree Prahlad Rai Badgujar
District Forest officer(DFO)
2.Mother - Manju Badgujar
House maker

3.Sh.Rajeev Badgujar
RTS 2010 batch

4.Sh Deepak Badgujar
Advocate

5.Pankaj Badgujar
RTS 2007 batch

6. Priyanka Badgujar
DTO 2013
RAS 2016

पूर्व चयन:-

Ras efforts 3
Ras 2013 SSO
Ras 2016 RPS
English medium
Residence - jor
Educational qualifications:-
BA
MA
NET
SLET

any coaching-Self study,test series from coaching
चयन के लिए strategy:-
Make to the point notes according to the syallbus in module form and revise it atleast 4 times ...
And  join the test series for mains and here Springboard and samyak coaching are best...no substitute of these coaching.
One more thing which is far important in RAS preparations study selected authentic matter and group study is very beneficial....
About rpscmeme:-
Thanks to Rpscmeme admins ,you are doing  a great work especially for the fresher's .

Friday 10 November 2017

success story 30

आज rpscmeme में RAS 2016 की success story के क्रम में नीलम  राठौड़ जी का परिचय एवं मार्गदर्शन प्रस्तुत है ।आपने अपनी मेहनत एवं दृढ़ संकल्प द्वारा लगातार दो बार RAS परीक्षा में सफलता प्राप्त की परिवार समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।


परिचय-

नाम- नीलम राठौड़

RAS 2016   rank- 209

रोल नंबर-211349

उम्र    -     28वर्ष

RAS परीक्षा में प्रयास -तीसरा

परीक्षा   
 RAS 2013 रैंक 519 पद-श्रम निरीक्षक
RAS  2016रैंक 209  RAcs(संभावित)

परीक्षा का माध्यम -  English

मूल निवासी         -  बंवाल
                तहसिल-परबतसर(नागौर)

पूर्व चयन-RAS 2013


कार्य अनुभव  -  

श्रम निरीक्षक के पद पर 
वर्तमान में उदयपुर में कार्यरत ,4 वर्ष
Public school teaching      

Marksheet
Paper 1st -  77 marks
Paper 2nd-  87 marks 
Paper 3rd -  94 marks
Paper 4th -  109 marks
Interview  -   64 marks
total-431 marks           

शैक्षणिक योग्यता-
MA  लोक प्रशासन
B.Ed ,MA (English)
  

कोचिंग   - AIM institute से गणित , टेस्ट सीरीज Spring board & Mothers institute
GS world  से  newly added syllabus , guidance from RAcS officer Sandeep Chauhan sir

चयन के लिए stratagy-

सभी  papers  पर बराबर  focus and time देना, *टेस्ट सीरीज* के माध्यम से मुख्य परीक्षा पर focus ,   mains exam  के लिए कुछ subject  के अच्छे शब्दों की  vocabulary बनाई।group study की,साक्षात्कार के लिए  साथी अभ्यर्थियों से interaction व discussion ।

नए अभ्यर्थियों के लिए संदेश- 

Selected qualitative books पढे,Pre and mains test series for practice is must.
धैर्य व दृढ़ संकल्प के साथ स्वयं पर विश्वास करे।
hard work के साथ smart study करे। 
अफवाहों पर ध्यान न देंकर निरंतर तैयारी करे।


एक अन्य बिंदु जो भी आप कहना चाहें-

असफलता से विचलित न हो।नकारातमक व्यक्तियों और विचारों से दूर रहकर प्रयास करे, सफलता सुनिश्चित है।

about RPSC meme  & more page-selected, newly selected and aspirants तीनों के लिए अच्छा platform है विचारों के आदान-प्रदान का। आप की हर एक post unique and effective होती है। keep up the good work admin group.

Tuesday 7 November 2017

success story 29

आज rpscmeme में success story में रमेश कुमार जी का परिचय एवं मार्गदर्शन प्रस्तुत है। आपने मेहनत एवं   दृढ़ संकल्प द्वारा RAS 2013 में 9 वी वरीयता प्राप्त कर परिवार, समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।


परिचय-

नाम- Ramesh Kumar

RAS 2013 rank- 9

रोल नंबर-916397

उम्र    -     29

RAS परीक्षा में प्रयास -2

परीक्षा            RAS 2013             रैंक           9          पद RAS
               

परीक्षा का माध्यम -   Hindi

मूल निवासी         - Punadia Bali (Pali)

                     
पूर्व चयन- 1.Gram sevak 2011
2. Senoir teacher 2011


कार्य अनुभव  -  Teacher 6 year at GSSS malnu (Pali)

                   

                     

शैक्षणिक योग्यता- B.Sc B.Ed


कोचिंग   - Spring Board academy Jaipur

चयन के लिए stratagy-1.Syllabus ka study kiya sabse pahle
2.Basic books ka selection NCERT 11th and 12th History and Geography
3.Writting ki paratices
join test series from Nirman IAS jaipur and Spring board academy Jaipur
4.Focus on newspaper and youtube video Only IAS for current


Books for RAS
For PT
1. Raj gk ..
     a. Laxay raj 2018
      b. Raj geo  SS Saxsena
      c. Raj history 11th raj board
2. History.. School books of raj board class 11th and 12th
3. Geography .. School books of raj board 11th and 12th
4. Economics  NOTES ..spring board academy
5. Polity.   M laxmikant
6.Maths .. R S agrawal
7. Science ..Class 6th to 10th raj board
8. Current GK ... Civil services Cronicle last 8th month and For rajasthan Mumal (monthly)last 8th month

For RAS mains

Paper 1.
a.History   Same of PT books and Spectrum for mordern History
b.Economics  Notes spring board and current gk from Cronicle
c. Sociology School books if 11th and 12th accordengly to syllabus

Paper. 2
a. Maths  RS agrwal and class 8th to 10 th raj board books
b. Reasoning  SS Shekhawat
c. Science  .
Arihant books for Science
d.Geography.. School books Class 11th and 12th with Atlas

Paper 3.
a.Polity..M laxmikant
b Pub add Class 11th and 12th
c.Other notes of any coaching

Paper 4

a.Hindi ..Raghav Prakaash and grammer class 9th to 12th raj board
b. English .. BK rastogi

नए अभ्यर्थियों के लिए संदेश-1. khud par vishvas rakho..
2.Hard work with proper plan
3.Apni weakness ko pahchan kar usko dur karne ka prayas karo
4. Postitive raho...Aalochana se na dare


एक अन्य बिंदु जो भी आप कहना चाहें-1". Falak ki zid hai jaha bizaliya girane ki ,Hame bhi zid hai vahi aashiyana bana ne ki "


About Rpscmeme & more page-It is very good page .
new aspirant must read it for make their Plan for RAS

Saturday 4 November 2017

success story 28

आज rpscmeme & more की सफलता की कहानी में जेठू सिंह जी की अत्यंत प्रेरणादाई स्टोरी स्वयं उन्ही की जुबानी। जेठू सिंह जी ने अपनी जिजीविषा से न केवल लक्ष्य सिद्धि को प्राप्त किया अपितु RAS बनने का ख्वाब देख रहे युवाओं के सामने एक मिसाल भी पेश की।

जेठू सिंह करनोत, कुसीप

RAS 2016, 56वीं रैंक से RPS में चयनित

उनकी जुबानी .. सफलता की कहानी

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पुरी ईमानदारी व सच्चे मन से कोई प्रयास कीया जाये, तो सफलता हमारे नजदीक ही वरमाला लिए खडी़ मिलेगी | लेकिन आज के समय हर युवा शॉर्टकट में सफलता को छुना चाहता हैं, जो आज के इस प्रतिस्पर्धा के युग में संभव नहीं हैं | आज भौतिकवाद के युग में भटकाव के रास्ते पर धकेलने वाले अनेको मिल जायेंगे, लेकिन सही राह दिखाने वाले फरिश्ते अच्छी संगत या पुर्व जन्म के सद्कर्मों से ही संभव हैं |
मुझे ही एक ऐसा फरिश्ता मिला जिसे लोग दिलीप महेचा सर के नाम से जानते हैं, और मेरे गांव के भांजे हैं | उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचान कर इस लक्ष्य पर बढने के लिए प्रोत्साहित कीया | कई बार मैं कडी़ मेहनत स्वरूप असफल भी हुआ, लेकिन हर असफलता के बाद जब भी पिछे मुड़कर देखा तो दिलीप सर प्रोत्साहन की पोटली लिए पिछे खडे़ मिले | जब भी निराशा के भाव आये, उन्होने मुझे संभाला और सैंकडो़ उदाहरण देकर कहा कि वो व्यक्ति अभावो में भी सफलता को छु सकता हैं, तो तू क्यों नहीं कर सकता हैं | आज मैं बडा़ खुश हूं, मेरे दिल के सबसे बडे़ अरमानों के करीब हूं | शायद भगवान का आशिर्वाद व दोस्तों की दुआये साथ हैं, जो मैं मेरे सबसे पसंदीदा पद को धारण करने के करीब पहुंच पाया हूं |
बचपन से पढाई में कक्षा में अव्वल तो था ही, मुझे पढने का बचपन से ही शौक था | मैं पढाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी हमेशा बढचढ के ही भाग लेता था | मेरी प्रारंभिक शिक्षा मेरे गांव कुसीप में ही सम्पन्न हुई | माध्यमिक शिक्षा के लिए गांव छोड़कर जालोर आ गया | दसवीं कक्षा मैंने 73.09% से व बारहवीं कक्षा 71.69% से जालोर से उत्तीर्ण की | बारहवीं कक्षा में आशानुरूप प्रतिशत नहीं बनने से मैं निराश हो गया, क्योंकि बारहवीं में मैंने कडी़ मेहनत की थी | मैं हताश होकर पढाई छोड़कर मुलुंड (मुम्बई) चला गया | वहां मैं बैग की दुकान पर नौकरी करने लगा | इस दौरान मेरे एक मित्र ने मेरी औसत प्रतिभा को देखते हुए Bsc प्रथम वर्ष कॉलेज का फॉर्म भी मेरी इच्छा विरूद्ध भर दिया | तब मुझे प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के लिए दोस्त की मांग पर मारवाड़ आना पडा़ | प्रथम वर्ष की परीक्षा मैंने इच्छा विरूद्ध व बहुत कम तैयारी में दी, फिर भी मेरे Bsc प्रथम वर्ष परीक्षा 64 प्रतिशत से पास की | जिस पर मुझे बडा़ आश्चर्य हुआ, क्योंकि ये परीक्षा बहुत कम तैयारी के साथ दी थी, बावजुद भी मेरे 64 %  बन गये | और कई साथी जो वर्षभर से इसी परीक्षा की तैयारी में लगे हुए थे वे मुझसे पिछड़ गये | तब मेरा आत्मविश्वास जागा कि मैं भी कुछ कर सकता हूं | और इस तरह मैंने निरंतर पढाई का मानस बना दिया, और इस तरह 2002 में Bsc प्रथम श्रेणी से पास तो कर ली थी, पर मुझे द्वितीय वर्ष के एक पेपर में आशानुरूप अंक नही मिलने के कारण मैंने एक पेपर में रिवॉल्युशन करवाया था| जिसमें मेरे तीन नम्बर और कम हो गये थे, जिससे बीएससी में 59.75 प्रतिशत ही बने |  मुझे अफसोस रहा कि मैंने ही प्रथम श्रेणी को द्वितीय श्रेणी कर दिया था | 2003 में मेरी शादी हुई, तब मुझे पारीवारिक जिम्मेदारी का थोडा़ अहसास हुआ और मैं आर्थिक ऊपार्जन के लिए प्राइवेट कंपनी में नौकरी के लिए भिवंडी चला गया | वहां एक कंपनी में नौकरी करने लग गया | तब कई दोस्तों ने भिवंडी से वापिस आगे की पढाई करने को कहा | तब मैं वहां से दो महिने कंपनी की नौकरी के बाद घर आ गया और आगे की पढाई करने का पुन: मानस बना दिया | यहां आने के बाद मेरे गांव के नजदीक सीवाना में एक निजी शिक्षण संस्थान गुरूमंछ विधामंदिर में पढाने व स्वयं पढने का निर्णय लिया | एक साल तक इसी विधालय में पढाने के बाद दुसरे वर्ष एक दुसरी निजी शिक्षण संस्था में अध्यापन करवाया | साथ में थोडी बहुत तैयारी भी करने लगा | तभी साथी मित्रों के कहने पर बीएड करने का मानस बनाया और 2007 में विधा भारती उदयपुर से बीएड कीया | उदयपुर रहने के दौरान ऐसे लडकों से मुलाकात हुई जो आएएस की तैयारी कर रहे थे | उनसे सम्पर्क में आने के बाद मेरे मन में भी कई बार आरएएस बनने के लड्डू फुटने आरम्भ हुए, पर इतनी रफ्तार नहीं दे पाया | इस तरह मैं थोडी बहुत तैयारी बीएड के साथ-साथ ही करने लगा और बीएड पुर्ण होने से पहले ही मेरा थर्ड ग्रेड अध्यापक में चयन हो गया | लेकिन संयोग की बात जोईनिंग के समय तक डीग्री नही मिलने के कारण अंतिम चयन से वंचित हुआ| बीएड के बाद मेरे गांव के पास सिवाणा में करणोत कोचिंग के नाम से गणित की कोचिंग करवाने लगा | कोचिंग में खुब बच्चे पढने के लिए आने लगे, लेकिन मेरा मुख्य लक्ष्य कुछ बनने का था इसलिए आर्थिक उपार्जन के साथ तैयारी भी करता रहा | कोचिंग करवाते समय ही 2008 में ग्रामसेवक भर्ती के दौरान मेरा चयन हो गया, लेकिन संयोग कि बात जनरल के 16 जनों का चयन होना था ऐसे में 16वें पद के लिए तीन प्रार्थी समान अंक के आये और नियम विरूद्ध चयन कीसी ओर का हुआ, ऐसे में मेरे द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मुझे तीनों में से हर परिस्थिति में योग्य मानते हुए मेरा अंतिम रूप से चयन हो गया | इस तरह तीन वर्ष तक ग्रामसेवक पद पर कार्य कर पंचायतीराज को भी नजदीक से समझने का मौका मिला | इस दौरान मेरी मुलाकात मेरे गांव पधारे दिलीप सर से हो गई उन्होंने मुझे आरएएस बनने के लिए प्रोत्साहित कीया और हरसंभव सहयोग की बात भी की | तब मैंने ग्रामसेवक पद पर रहते हुए ही आरएएस की तैयारी शुरू की | और पहली बार 2010 में आरएएस की परीक्षा में शामिल हुआ, और प्री क्लियर करते हुए मैंस में शामिल हुआ | 2011में मेरा वरिष्ठ अध्यापक गणित के पद पर चयन हुआ, तब मैंने सैकंड ग्रेड गणित के पद पर अपने गांव में ही जॉइनिंग की | 2012 में फिर से आरएस दिया, प्री क्लियर करते हुए मैंस तक पहुंचा | हर बार की तरह रिजल्ट आने के बाद आशानुरूप सफलता नहीं मिलने से कुछ समय के लिए निराश हो जाता था | लेकिन जब भी मैं निराशा हुआ, मेरे मार्गदर्शक दिलीप महेचा सर (स्प्रिंग बोर्ड, जयपुर) मेरे पिछे खडे़ मिलते ... और कहते बस! अब सफलता के करीब पहुंच चुके हो,अबकी बार आर या पार | और मैं फिर से पुरे जोश-ओ-जुनुन से तैयारी में लग जाता था | इस बार मैं तैयारी के साथ-साथ इतिहास में एमए करने का विचार कर एमए में एडमीशन लीया और 2013 में एमए 57.44 प्रतिशत से पुर्ण की | इस तरह फिर से 2013 का आरएएस दिया, लेकिन इस बार भी तैयारी संतोषप्रद होते हुए भी प्री व मैंस दोनो क्लियर करते हुए इन्टरव्यु तक तो पहुंचा, लेकिन अंतिम सफलता नहीं मिल पाई | मेरे साथ हमेशा कुछ न कुछ संयोग बना ही रहा | इस बार मेरे साथ ये संयोग रहा हैं कि इस वर्ष एक तरफ तो मेरे इतिहास में एमए पुर्ण हुई, वैसे ही दुसरी तरफ मेरा चयन इतिहास स्कुल व्याख्याता के पद पर पुरे राजस्थान में 39वीं रैंक पर मेरा चयन भी हो गया | आरएएस की तैयारी के दौरान इतिहास को इतना घोलकर पिला लीया था, कि मुझे केवल एमए करने की ही आवश्यकता थी | और एमए करते ही स्कुल व्याख्याता में चयन हो गया | इस बार मेरा आरएएस में अंतिम रूप से चयन नहीं होने से फिर से निराश था, लेकिन जैसे ही व्याख्याता में चयन हुआ जोश पुन: जागृत हुआ और मेरे अन्दर की प्रेरणा जागी | दिलीप सर ने भी समझाया कि तैयारी कभी बेकार नहीं जाती, जीवन में कहीं न कहीं अवश्य काम आती हैं, और अब मैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भी देख चुका था | आरएएस की तैयारी में इतिहास पढने से मेरा व्याख्याता में चयन हो चुका था, जिसमें मुझे 2015 में जॉइनिंग मिली | 2015 में पुन: मेरा इतिहास से ही कॉलेज व्याख्याता में चयन हुआ ( अभी इन्टरव्यु कॉल हुआ लेकिन इन्टरव्यु में भाग नहीं लुंगा, क्योकि मेरा आरपीएस में हो चुका हैं
 और मेरे भाग लेने से कोई न कोई साथी मेरी वजह से चयन से रह जायेगा ) | इस तरह कॉलेज व्याख्याता की सफलता ने मुझ में और जोश भरा |इस बार पुन: आरएएस की तैयारी में जुट गया और जी-जान से इसमें लग गया | अबकी बार लडाई को आर या पार समझ कुद पडा़ था | इस बार की लडाई को मैं शाका मान चुका था, और इसे अंतिम लडाई मान पुरे मन से तैयारी में लग गया | और कहा भी गया हैं कि दृढ़ निश्चय और पवित्र लक्ष्य हो, तो सफलता तुम्हारी दासी बनकर तुम्हारें पांव छुंएगी | और मेरे साथ भी यही हुआ .... आज 2016 के आरएएस के अंतिम परिणाम में 56वीं रैंक से आरपीएस के पदपर चयनित हुआ हूं | ये मेरा अंतिम प्रयास व सर्वोच्च इच्छा का पद था | आज मैं खुश हूं कि सपनों को साकार कर पाया |
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मैं जब पिछे मुडकर देखता हूं , तो मुझे वे दोस्त, मेरा संघर्ष, दिलीप सर, मेरी नौकरी बहुत याद याद आती हैं | इन सबसे बहुत कुछ मैंने सीखा, जिससे मैं मंजिल तक पहुंच पाया | मेरा मानना यदि कोई युवा दृढ़ निश्चय कर ले, कि उसे आरएएस बनना हैं या कोई  लक्ष्य हासिल करना हैं तो उसको कोई रोक नहीं सकता हैं बशर्ते की खुद हार मान न ले | इसके लिए अच्छी संगत व कीसी एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती हैं जो तुम्हें बार-बार प्रोत्साहित कर मंजिल छुने के लिए लालायित करे | मैं उन सभी साथियों युवाओं को आह्वान करता हूं कि आप एक बार अपना लक्ष्य तय कर ले, व उसमें जुट जाये सफलता तुम्हारे कदमों में होगी |  मैं हर संभव सहयोग की कोशिश करूंगा | यदि मेरे निजी प्रयास से एक भी व्यक्ति प्रोत्साहित होता हैं, तो मुझे बडी़ खुशी होगी |
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Friday 3 November 2017

success story 27

आज rpscmeme में RAS 2016 की success story के क्रम में रणजीत जी बिजारणिया का परिचय एवं मार्गदर्शन प्रस्तुत है।आपने मेहनत एवं दृढ़ संकल्प से RAS परीक्षा में सफलता प्राप्त कर परिवार,समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।


परिचय- 

नाम- रणजीत बिजारणिया

RAS 2016 rank- 13

रोल नंबर- 203555

उम्र    -     26

RAS परीक्षा में प्रयास - प्रथम प्रयास

परीक्षा                         रैंक     13              
पद - एसडीएम
                

परीक्षा का माध्यम -  हिन्दी

मूल निवासी         -  4 एनएम, नाहरावाली, घड़साना, श्री गंगानगर

                      
पूर्व चयन- तृतीय श्रेणी अध्यापक एवं पटवारी

कार्य अनुभव  -  5 वर्ष से पटवारी के पद पर कार्यरत तहसील पूंगल जिला बीकानेर

                     

                      

शैक्षणिक योग्यता- स्नातक एवं बीएसटीसी

  

कोचिंग   - भाटिया आश्रम, सूरतगढ़
प्रेरणा स्त्रोत- माता पिता, पत्नी, बड़े भाई श्री रवि कुमार नव चयनित आरएएस एवं परमश्रद्धेय गुरु श्री प्रवीण भाटिया
चयन के लिए stratagy- दबाव मुक्त रहना एवं समूह अध्ययन

नए अभ्यर्थियों के लिए संदेश- समर्पण एवं जूनून के साथ किसी भी लक्ष्य को पाने का प्रयास करेंगे  अवश्य सफलता आपके सामने बाहें फैलाकर खड़ी मिलेगी, मैं स्वंय इसका उदाहरण हूं सामान्य कृषक परीवार जहां आवश्यकताएं आपको कुछ सोचने ही नहीं देती वहां से पांच वर्ष बाद पटवारी जैसी कठिन सेवा के साथ पुनः पढाई शुरु करके  रणनीति बनाकर प्रथम प्रयास में लक्ष्य को प्राप्त किया

एक अन्य बिंदु जो भी आप कहना चाहें- जीवन में गुरु अवश्य बनाएं चाहें अर्जुन के रुप में चाहे एकलव्य के रुप में, जिस प्रकार प्राथमिक गुरु माता आपके पथ विचलन को रोकती है, उसी प्रकार परीक्षा के दौरान की दुविधा को भी गुरु सरल कर देता है

About #Rpscmeme & more page- यह एक बहुत अच्छा मंच है जो हमें मित्र, साथी एवं परीवार की कमी महसूस नहीं होने देता

Wednesday 1 November 2017

success story 26

आज rpscmeme पर गिरधर सिंह जी के संघर्ष की कहानी जिन्होंने अभी ग्रामसेवक परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। जीवन की कठिन  परिस्थितियों से उन्होंने किस तरह संघर्ष किया,यह सभी के लिए प्रेरणादायी है। उनके शब्दों में उनकी कहानी-
"एक ख्वाब ने आँखे खोली हैं...
क्या मोड़ आया हैं कहानी में...
ये पोस्ट उन युवा साथियों के लिये हैं जो जिंदगी में कुछ कर गुजरने की तम्मना तो रखते हैं लेकिन वो मानते हैं कि उनके हालात ऐसे हैं कि वे आगे नहीं बढ़ पा रहे है और एक-दो असफलता के बाद अपने लक्ष्य को तिलांजली दे देते हैं।
साथियों... मुझे असफलता का सामना पहली बार तब हुआ था जब में 9वीं कक्षा में फेल हुआ था। उसके बाद तो ये सिलसिला लगातार चलता ही रहा। पारिवारिक, सामाजिक, व्यापारिक हर क्षेत्र में असफलता पाई हैं लेकिन बात प्रतियोगिता परीक्षा की करें तो मैं 21 परिक्षाओं में फेल हुआ हुँ पुलिस, पटवारी, ldc, चपरासी, होमगार्ड, बैंक, गोला-बारूद, पंचायत सहायक आदि किसी में सिर्फ आधा-एक नंबर से पीछे रहा, तो किसी में मेरिट, हाईट, टाईपिंग आदि में बाहर निकल गया।हारा जरूर लेकिन मैदान छोड़कर नहीं भागा और 22वें exam ग्रामसेवक में सफलता मिल गई।
 हालांकि ras-ias बनने के ज़माने में ग्रामसेवक छोटा सा पद हैं लेकिन मेरे वृद्ध माता-पिता के लिये ये ias से भी बढ़कर हैं क्योंकि उन्होने अनपढ होते हुए भी , खेजड़ी के पत्ते और मींजल बेचकर अपना पेट पालते हुए मुझे पढाया। आर्थिक तंगहाली और गरीबी के कारण आज से कई साल पहले दादी ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली, उसके बाद एक चाचा ने जहर खाकर और दुसरे चाचा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। सिलसिला यहीं नही रुका और आज से 4 साल पहले दिपावली के दूसरे दिन बड़े भाई खुमानसिंह ने आत्महत्या कर ली। बुढापे में कमजोर होते शरीर और ऐसी घटनाओं के कारण माता-पिता अन्दर से टूट चुके थे।"
  rpscmeme गिरधर सिंह जी के संघर्ष व जज्बे को सलाम करता है,और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है। इस पर जीतेन्द्र कुमार सोनी (ias) जी की एक कविता की पंक्तियाँ समीचीन प्रतीत होती है-
                थार, थोर और थिर
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दुश्वारियों के थार में
उग आते हैं  हौसले
अक्सर थोर की तरह
किसी सहारे की आस बिना

अभावों का सूखापन,
आलोचनाओं की लू
और संघर्षों की तीखी धूप में
थोर-क्षीर की तरह
समेट लेते हैं सबकुछ
ज़िन्दा रहने की ज़िद
और जद्दोजहद में ।

थार में जीवन
थोर होने में है
थिर होने में नहीं !!

Jitendra Kumar Soni