Saturday 4 November 2017

success story 28

आज rpscmeme & more की सफलता की कहानी में जेठू सिंह जी की अत्यंत प्रेरणादाई स्टोरी स्वयं उन्ही की जुबानी। जेठू सिंह जी ने अपनी जिजीविषा से न केवल लक्ष्य सिद्धि को प्राप्त किया अपितु RAS बनने का ख्वाब देख रहे युवाओं के सामने एक मिसाल भी पेश की।

जेठू सिंह करनोत, कुसीप

RAS 2016, 56वीं रैंक से RPS में चयनित

उनकी जुबानी .. सफलता की कहानी

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पुरी ईमानदारी व सच्चे मन से कोई प्रयास कीया जाये, तो सफलता हमारे नजदीक ही वरमाला लिए खडी़ मिलेगी | लेकिन आज के समय हर युवा शॉर्टकट में सफलता को छुना चाहता हैं, जो आज के इस प्रतिस्पर्धा के युग में संभव नहीं हैं | आज भौतिकवाद के युग में भटकाव के रास्ते पर धकेलने वाले अनेको मिल जायेंगे, लेकिन सही राह दिखाने वाले फरिश्ते अच्छी संगत या पुर्व जन्म के सद्कर्मों से ही संभव हैं |
मुझे ही एक ऐसा फरिश्ता मिला जिसे लोग दिलीप महेचा सर के नाम से जानते हैं, और मेरे गांव के भांजे हैं | उन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचान कर इस लक्ष्य पर बढने के लिए प्रोत्साहित कीया | कई बार मैं कडी़ मेहनत स्वरूप असफल भी हुआ, लेकिन हर असफलता के बाद जब भी पिछे मुड़कर देखा तो दिलीप सर प्रोत्साहन की पोटली लिए पिछे खडे़ मिले | जब भी निराशा के भाव आये, उन्होने मुझे संभाला और सैंकडो़ उदाहरण देकर कहा कि वो व्यक्ति अभावो में भी सफलता को छु सकता हैं, तो तू क्यों नहीं कर सकता हैं | आज मैं बडा़ खुश हूं, मेरे दिल के सबसे बडे़ अरमानों के करीब हूं | शायद भगवान का आशिर्वाद व दोस्तों की दुआये साथ हैं, जो मैं मेरे सबसे पसंदीदा पद को धारण करने के करीब पहुंच पाया हूं |
बचपन से पढाई में कक्षा में अव्वल तो था ही, मुझे पढने का बचपन से ही शौक था | मैं पढाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भी हमेशा बढचढ के ही भाग लेता था | मेरी प्रारंभिक शिक्षा मेरे गांव कुसीप में ही सम्पन्न हुई | माध्यमिक शिक्षा के लिए गांव छोड़कर जालोर आ गया | दसवीं कक्षा मैंने 73.09% से व बारहवीं कक्षा 71.69% से जालोर से उत्तीर्ण की | बारहवीं कक्षा में आशानुरूप प्रतिशत नहीं बनने से मैं निराश हो गया, क्योंकि बारहवीं में मैंने कडी़ मेहनत की थी | मैं हताश होकर पढाई छोड़कर मुलुंड (मुम्बई) चला गया | वहां मैं बैग की दुकान पर नौकरी करने लगा | इस दौरान मेरे एक मित्र ने मेरी औसत प्रतिभा को देखते हुए Bsc प्रथम वर्ष कॉलेज का फॉर्म भी मेरी इच्छा विरूद्ध भर दिया | तब मुझे प्रथम वर्ष की परीक्षा देने के लिए दोस्त की मांग पर मारवाड़ आना पडा़ | प्रथम वर्ष की परीक्षा मैंने इच्छा विरूद्ध व बहुत कम तैयारी में दी, फिर भी मेरे Bsc प्रथम वर्ष परीक्षा 64 प्रतिशत से पास की | जिस पर मुझे बडा़ आश्चर्य हुआ, क्योंकि ये परीक्षा बहुत कम तैयारी के साथ दी थी, बावजुद भी मेरे 64 %  बन गये | और कई साथी जो वर्षभर से इसी परीक्षा की तैयारी में लगे हुए थे वे मुझसे पिछड़ गये | तब मेरा आत्मविश्वास जागा कि मैं भी कुछ कर सकता हूं | और इस तरह मैंने निरंतर पढाई का मानस बना दिया, और इस तरह 2002 में Bsc प्रथम श्रेणी से पास तो कर ली थी, पर मुझे द्वितीय वर्ष के एक पेपर में आशानुरूप अंक नही मिलने के कारण मैंने एक पेपर में रिवॉल्युशन करवाया था| जिसमें मेरे तीन नम्बर और कम हो गये थे, जिससे बीएससी में 59.75 प्रतिशत ही बने |  मुझे अफसोस रहा कि मैंने ही प्रथम श्रेणी को द्वितीय श्रेणी कर दिया था | 2003 में मेरी शादी हुई, तब मुझे पारीवारिक जिम्मेदारी का थोडा़ अहसास हुआ और मैं आर्थिक ऊपार्जन के लिए प्राइवेट कंपनी में नौकरी के लिए भिवंडी चला गया | वहां एक कंपनी में नौकरी करने लग गया | तब कई दोस्तों ने भिवंडी से वापिस आगे की पढाई करने को कहा | तब मैं वहां से दो महिने कंपनी की नौकरी के बाद घर आ गया और आगे की पढाई करने का पुन: मानस बना दिया | यहां आने के बाद मेरे गांव के नजदीक सीवाना में एक निजी शिक्षण संस्थान गुरूमंछ विधामंदिर में पढाने व स्वयं पढने का निर्णय लिया | एक साल तक इसी विधालय में पढाने के बाद दुसरे वर्ष एक दुसरी निजी शिक्षण संस्था में अध्यापन करवाया | साथ में थोडी बहुत तैयारी भी करने लगा | तभी साथी मित्रों के कहने पर बीएड करने का मानस बनाया और 2007 में विधा भारती उदयपुर से बीएड कीया | उदयपुर रहने के दौरान ऐसे लडकों से मुलाकात हुई जो आएएस की तैयारी कर रहे थे | उनसे सम्पर्क में आने के बाद मेरे मन में भी कई बार आरएएस बनने के लड्डू फुटने आरम्भ हुए, पर इतनी रफ्तार नहीं दे पाया | इस तरह मैं थोडी बहुत तैयारी बीएड के साथ-साथ ही करने लगा और बीएड पुर्ण होने से पहले ही मेरा थर्ड ग्रेड अध्यापक में चयन हो गया | लेकिन संयोग की बात जोईनिंग के समय तक डीग्री नही मिलने के कारण अंतिम चयन से वंचित हुआ| बीएड के बाद मेरे गांव के पास सिवाणा में करणोत कोचिंग के नाम से गणित की कोचिंग करवाने लगा | कोचिंग में खुब बच्चे पढने के लिए आने लगे, लेकिन मेरा मुख्य लक्ष्य कुछ बनने का था इसलिए आर्थिक उपार्जन के साथ तैयारी भी करता रहा | कोचिंग करवाते समय ही 2008 में ग्रामसेवक भर्ती के दौरान मेरा चयन हो गया, लेकिन संयोग कि बात जनरल के 16 जनों का चयन होना था ऐसे में 16वें पद के लिए तीन प्रार्थी समान अंक के आये और नियम विरूद्ध चयन कीसी ओर का हुआ, ऐसे में मेरे द्वारा कोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर मुझे तीनों में से हर परिस्थिति में योग्य मानते हुए मेरा अंतिम रूप से चयन हो गया | इस तरह तीन वर्ष तक ग्रामसेवक पद पर कार्य कर पंचायतीराज को भी नजदीक से समझने का मौका मिला | इस दौरान मेरी मुलाकात मेरे गांव पधारे दिलीप सर से हो गई उन्होंने मुझे आरएएस बनने के लिए प्रोत्साहित कीया और हरसंभव सहयोग की बात भी की | तब मैंने ग्रामसेवक पद पर रहते हुए ही आरएएस की तैयारी शुरू की | और पहली बार 2010 में आरएएस की परीक्षा में शामिल हुआ, और प्री क्लियर करते हुए मैंस में शामिल हुआ | 2011में मेरा वरिष्ठ अध्यापक गणित के पद पर चयन हुआ, तब मैंने सैकंड ग्रेड गणित के पद पर अपने गांव में ही जॉइनिंग की | 2012 में फिर से आरएस दिया, प्री क्लियर करते हुए मैंस तक पहुंचा | हर बार की तरह रिजल्ट आने के बाद आशानुरूप सफलता नहीं मिलने से कुछ समय के लिए निराश हो जाता था | लेकिन जब भी मैं निराशा हुआ, मेरे मार्गदर्शक दिलीप महेचा सर (स्प्रिंग बोर्ड, जयपुर) मेरे पिछे खडे़ मिलते ... और कहते बस! अब सफलता के करीब पहुंच चुके हो,अबकी बार आर या पार | और मैं फिर से पुरे जोश-ओ-जुनुन से तैयारी में लग जाता था | इस बार मैं तैयारी के साथ-साथ इतिहास में एमए करने का विचार कर एमए में एडमीशन लीया और 2013 में एमए 57.44 प्रतिशत से पुर्ण की | इस तरह फिर से 2013 का आरएएस दिया, लेकिन इस बार भी तैयारी संतोषप्रद होते हुए भी प्री व मैंस दोनो क्लियर करते हुए इन्टरव्यु तक तो पहुंचा, लेकिन अंतिम सफलता नहीं मिल पाई | मेरे साथ हमेशा कुछ न कुछ संयोग बना ही रहा | इस बार मेरे साथ ये संयोग रहा हैं कि इस वर्ष एक तरफ तो मेरे इतिहास में एमए पुर्ण हुई, वैसे ही दुसरी तरफ मेरा चयन इतिहास स्कुल व्याख्याता के पद पर पुरे राजस्थान में 39वीं रैंक पर मेरा चयन भी हो गया | आरएएस की तैयारी के दौरान इतिहास को इतना घोलकर पिला लीया था, कि मुझे केवल एमए करने की ही आवश्यकता थी | और एमए करते ही स्कुल व्याख्याता में चयन हो गया | इस बार मेरा आरएएस में अंतिम रूप से चयन नहीं होने से फिर से निराश था, लेकिन जैसे ही व्याख्याता में चयन हुआ जोश पुन: जागृत हुआ और मेरे अन्दर की प्रेरणा जागी | दिलीप सर ने भी समझाया कि तैयारी कभी बेकार नहीं जाती, जीवन में कहीं न कहीं अवश्य काम आती हैं, और अब मैं इसका प्रत्यक्ष उदाहरण भी देख चुका था | आरएएस की तैयारी में इतिहास पढने से मेरा व्याख्याता में चयन हो चुका था, जिसमें मुझे 2015 में जॉइनिंग मिली | 2015 में पुन: मेरा इतिहास से ही कॉलेज व्याख्याता में चयन हुआ ( अभी इन्टरव्यु कॉल हुआ लेकिन इन्टरव्यु में भाग नहीं लुंगा, क्योकि मेरा आरपीएस में हो चुका हैं
 और मेरे भाग लेने से कोई न कोई साथी मेरी वजह से चयन से रह जायेगा ) | इस तरह कॉलेज व्याख्याता की सफलता ने मुझ में और जोश भरा |इस बार पुन: आरएएस की तैयारी में जुट गया और जी-जान से इसमें लग गया | अबकी बार लडाई को आर या पार समझ कुद पडा़ था | इस बार की लडाई को मैं शाका मान चुका था, और इसे अंतिम लडाई मान पुरे मन से तैयारी में लग गया | और कहा भी गया हैं कि दृढ़ निश्चय और पवित्र लक्ष्य हो, तो सफलता तुम्हारी दासी बनकर तुम्हारें पांव छुंएगी | और मेरे साथ भी यही हुआ .... आज 2016 के आरएएस के अंतिम परिणाम में 56वीं रैंक से आरपीएस के पदपर चयनित हुआ हूं | ये मेरा अंतिम प्रयास व सर्वोच्च इच्छा का पद था | आज मैं खुश हूं कि सपनों को साकार कर पाया |
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मैं जब पिछे मुडकर देखता हूं , तो मुझे वे दोस्त, मेरा संघर्ष, दिलीप सर, मेरी नौकरी बहुत याद याद आती हैं | इन सबसे बहुत कुछ मैंने सीखा, जिससे मैं मंजिल तक पहुंच पाया | मेरा मानना यदि कोई युवा दृढ़ निश्चय कर ले, कि उसे आरएएस बनना हैं या कोई  लक्ष्य हासिल करना हैं तो उसको कोई रोक नहीं सकता हैं बशर्ते की खुद हार मान न ले | इसके लिए अच्छी संगत व कीसी एक मार्गदर्शक की आवश्यकता होती हैं जो तुम्हें बार-बार प्रोत्साहित कर मंजिल छुने के लिए लालायित करे | मैं उन सभी साथियों युवाओं को आह्वान करता हूं कि आप एक बार अपना लक्ष्य तय कर ले, व उसमें जुट जाये सफलता तुम्हारे कदमों में होगी |  मैं हर संभव सहयोग की कोशिश करूंगा | यदि मेरे निजी प्रयास से एक भी व्यक्ति प्रोत्साहित होता हैं, तो मुझे बडी़ खुशी होगी |
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2 comments:

  1. This includes the recruitment of Engineering Exams like Assistant Engineer (A.En) The recruitment to Rajasthan Engineering Services and Rajasthan Sub-Ordinate Services is made through a Competitive Exam organized by the RPSC.
    rpsc ae coaching in rajasthan

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