Wednesday 29 November 2017

success story33

आज rpscmeme में ras2016 की success story के क्रम में राज कँवर जी की सफलता की कहानी प्रस्तुत है। आपने 2 बार ras में सफलता प्राप्त कर परिवार समाज और हम सभी को गौरवान्वित किया है।


जुनून और जज़्बा हो तो क्या असंभव है। किंतु विपरीत परिस्थितियों  के झंझावात से गुज़रकर सफलता हासिल करने वालों के गीत ज़माना गुनगुनाता है

“गुमनामियों के अँधेरे में ही दफन हो जाती है उनकी पहचान,

जिनके पास काम ना करने के अनगिनत बहाने हैं।

नजरअंदाज कर कमजोरियों को जो सपनों में भरते हैं जान,

आज ज़माने भर में  हर जगह उन्हीं के अफ़साने हैं।”

ज़माने भर के लोगों को गलत साबित कर एक नयी मिसाल प्रस्तुत करने वाली राजकंवर की प्रेरणादायक कहानी में हम ऐसा ही कुछ पढ़ने वाले हैं कि हिम्मत और जुनून  के बूते इंसान क्या नहीं कर सकता ।

हम बात कर रहे है हाल ही में RPS में चयनित राजकंवर की। अगर आप RAS /RPS अधिकारी बनना चाहते है तो निराश होने की जरूरत नहीं। यह कहना है राजकंवर का ,जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में समाज की रूढ़िवादी परम्पराओं के बीच राजस्थान प्रशासनिक सेवा में सफलता हासिल की है।

राजकंवर ने अपने जीवन के बारे में बताया कि उनके 2 भाई और बहन है । जयपुर में स्थित भवानी निकेतन महाविद्यालय से BA करने के बाद चूरू के लोहा गांव  के श्री सुमेर सिंह राठौड़ से  24 जनवरी 1996 को  उनकी शादी हुई । शादी के बाद उनकी पढ़ाई से दूरी बन गई। उनके पति का स्वंय का  बिजनेस था। इस दरमियान उनके  2 बच्चे हुए । ख़ुशहाल ज़िन्दगी जी रही राज कँवर ने जीवन में अचानक आए तूफ़ान में शादी के 13 साल  बाद  2009 में  पति सुमेरसिंह को सड़क दुर्घटना में खो दिया । इसके बाद राजकंवर ने हिम्मत के साथ फिर से नए सिरे से अपनी पढ़ाई की शुरुआत की। उन्होंने 2010 में बीएड और 2015 में एमए  किया।इस दौरान उन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाएँ  दीं। इस दौरान ⊥उन्हें कई परेशानियों का सामना  करना पड़ा और कई चुनौतियों से मुखातिब होना पड़ा। सबसे बड़ी चुनौती समाज की पुरानी रूढ़िवादी परम्परा थीं। समाज के लोग उन्हें अलग नजरिये से देखने लगे। लेकिन राजकंवर अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी शिद्दत से मेहनत करने में लगी रहीं।दिन बीतते गए और आखिरकार वो दिन आया जब उनके सपनों को पंख मिले। वर्ष 2016 में RPS अधिकारी के रूप में उनका चयन हुआ और एक मिसाल क़ायम की ।

राजकंवर हैं का मंत्र है  हमेशा बड़े सपने देखो और उसी के आधार पर शिद्दत से कोशिश करो।देखने मे आता हैं कि विपरीत परिस्थितियों में लोग टूट जाते हैं, जो हौसला नहीं खोते वही ऊँची उड़ान भरते हैं।

इस सफलता के पीछे उनके दोनों बच्चे प्रियंका और हेमेंद्र के अलावा उनके भाई शेर सिंह शेखावत का  सबसे बड़ा योगदान मानती हैं। वर्तमान में राजकंवर  राजस्थान के श्रीगंगानगर  जिले में फूड एंड सिविल  सप्लाई डिपार्टमेंट में अपनी सेवाएं दे रही है,साथ ही अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं। सितम्बर 2017 में उनका आधारभूत प्रशिक्षण प्रारम्भ हुआ है।
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Thanks to Rpscmeme admins ,you are doing  a great work especially for the fresher's .

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